मजहब के नाम पर अब कोई भी कोहराम न होगा
न हिन्दू कोई होगा कोई मुसलमान न होगा
धर्म ने बाँट रखा है हमें कितने ही टुकडो में
किसीको क्या मिलेगा इस तरह आपस के झगड़ो में
खुदा बस एक हे सबमे उसीका नूर हे यारो
सभीके दिल में है वो न किसीसे दूर है यारो
यही मंदिर यही मस्जिद यही काबा यही काशी
अब इस दुनिया में इंसानों का कत्लेआम न होगा
मजहब के नाम.................................
हमारे साथ में बीती हुई कुछ ऐसी यादें है
जख्म हम सबने खाए हैं बुरे दिन सबने काटे हैं
हमारी आनेवाली नस्ल को इसमें न झोकेंगे
रहेंगे अमन से और जंग को हर हाल रोकेंगे
कसम खा लो वतन में अब कोई संग्राम न होगा
मजहब के नाम.......................................
दिलो में दूरिया हैं क्यूँ चलो इनको मिटा दै अब
की भारत एक है ये सारी दुनिया को बता दे अब
चलो हम एकता का पथ नया सबको दिखाते है
चलो अब हम यहाँ एक प्यार का मजहब बनाते हैं
यहाँ बस प्यार होगा और कोई काम न होगा
मजहब के नाम पर अब कोई भी कोहराम न होगा
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